जैसा कि प्रेमानंद जी महाराज को सभी जानते हैं कि यह स्नातक धर्म के गुरु है और आए दिन यह अपने प्रवचनों से अपनी कथाओं से लोगों को अपने धर्म के बारे में और सही गलत के बारे में बताते हैं कुछ दिन पहले ही उन्होंने बताया था कि क्या हमें लोगों के मरने में खाना चाहिए या नहीं और भी ऐसी बहुत सारी बातें हैं जिस पर प्रेमानंद जी महाराज अपने सुझाव देते रहते हैं जो लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है ऐसे ही किसी सत्संग में हाल ही में प्रेमानंद जी महाराज से एक भक्त ने पूछा कि जब हमें किसी पर क्रोध आए तो हमें क्या करना चाहिए उसे पर प्रेमानंद जी महाराज ने बहुत ही उलझा हुआ जवाब दिया और कहा कि सभी के अंदर भगवान है अगर हम यह सोच तो हमें किसी के भी ऊपर क्रोध नहीं आएगा।
आखिरकार क्या थे प्रेमानंद जी के शब्द क्रोध के बारे में?
सत्संग में किसी भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा कि हमें जब किसी पर क्रोध आए तो हमें क्या करना चाहिए तब प्रेमानंद जी महाराज ने बताया कि पहली बात तो की आपको क्रोध आ क्यों रहा है यह जरूरी है और किस पर आ रहा है क्योंकि जो व्यक्ति अपना है उसे उसे पर आपको कभी क्रोध नहीं आएगा और क्रोध हमेशा दूसरों पर आता है मतलब अगर आप किसी को अपना लें तो आपको उसे पर क्रोध नहीं आएगा क्योंकि अगर आपको कोई पेड़ काटना होता है तो आप उसकी डाली को नहीं काटते बल्कि उसे पेड़ के जड़ को काटते हैं इस तरह अगर आपको किसी पर क्रोध ईर्ष्या या नफरत की भावना आती है तो आप उसे ना देखें आप यह सोच की उसमें भी भगवान है क्योंकि भगवान हर किसी में विराजमान होते हैं इसीलिए अगर आप ऐसा करें तो आपको क्रोध नहीं आएगा इसका मतलब यह हुआ कि जिस व्यक्ति पर आपका क्रोध आ रहा है उसे आप अपना ले अपना समझे तो आपको क्रोध नहीं आएगा प्रेमानंद जी महाराज ने यह भी कहा कि आज का समय ऐसा आ गया है जैसा लोग अपने कर्तव्य को भूलते जा रहे हैं अगर आप अपने कर्तव्य को करें अर्थात आप ईश्वर को सचमुच सब में देखे किसी से किसी प्रकार का गलत भाव ना रखें तब आपको क्रोध नहीं आएगा क्योंकि क्रोध का आना इसी को दर्शाता है कि आप उसे गलत भाव से देख रहे हैं।