प्रेमानंद महाराज जी स्नातक धर्म के गुरुओं में से एक हैं प्रेमानंद महाराज उत्तर प्रदेश स्थित वृंदावन के आश्रम में रहते हैं प्रेमानंद महाराज जी के सभी लोग आदर करते हैं साथ ही इनके द्वारा बताए गए विचारों को लोग अपने जीवन में लागू भी करते हैं अगर हम प्रेमानंद महाराज जी की बात करें तो प्रेमानंद महाराज जी की दोनों ही किडनी खराब है और इनकी दोनों किडनी खराब हुए लगभग 17 साल से भी अधिक हो गया है इन्होंने अपनी दोनों किडनी का नाम राधा और कृष्णा रखा है वर्तमान में इनका रोज डायलिसिस किया जाता है। प्रेमानंद महाराज जी सभी हिंदू समाज में बहुत आदर एवं सम्मान किया जाता है।
प्रेमानंद महाराज जी ने बताया कि क्या मृत्यु भोज में भोजन करना उचित है?
वैसे तो सभी जानते हैं कि सनातन धर्म के अनुसार मृत्यु भोज में भोजन करना उचित नहीं माना जाता है धर्म के अनुसार मृत्यु भोज में ब्राह्मणों को दान दक्षिणा एवं उन्हें खान-पान कराया जाता है , परंतु लोग भी मृत्यु भोज को ग्रहण करते हैं लेकिन हमेशा उनके मन में यह आसमान जैसे बनी रहती है कि क्या हमें मृत्यु भोज में भोजन करना चाहिए या नहीं इसी पर किसी भक्त ने प्रेमानंद महाराज जी से पूछा कि क्या मृत्यु भोज में भोजन करना उचित है तब इस पर प्रेमानंद महाराज जी ने जवाब देते हुए बताया कि कुछ परिस्थितियों में मृत्यु भोज में भोजन करना उचित है जी महाराज कहते हैं कि वैसे तो सनातन धर्म के अनुसार यह उचित नहीं है लेकिन कुछ परिस्थितियों जैसे आपका कोई निजी संबंधीय उनके यहां किसी की मृत्यु होती है तो यह बात और है अगर वहां 100 50 लोग शामिल हो रहे हैं तब आप वहां भोजन कर सकते हैं, आगे प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि ऐसी स्थिति में आप जाते हैं तो थोड़ा किशमिश आदि खा ले और जहां आप मृत्यु भोज खाने जा रहे हैं वहां अपनी थल लेकर चुपचाप बैठ जाएं और जो भी वहां भोजन आदि मिलता है उसे ईश्वर का नाम लेते हुए प्रसाद मानकर ग्रहण कर ले।
प्रेमानंद गुरु जी के कहने का मतलब यह था कि यदि आप कही ऐसी स्थिति है जहां जाना अनिवार्य है वहां जाते हैं और मृत्यु भोज ग्रहण करना पड़ता है तो भी उसे हमें ईश्वर का प्रसाद मानकर ग्रहण करना चाहिए।